राष्‍ट्रीय

Bangladesh की आंतरिक स्थिति पर भारत की नजर, यूनुस सरकार की नीतियों पर चिंता

Bangladesh में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के दो महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन वहां की अंतरिम सरकार अभी तक कोई दीर्घकालिक प्रशासनिक योजना प्रस्तुत नहीं कर पाई है। बांग्लादेश की वर्तमान आंतरिक स्थिति जटिल बनी हुई है और राजनीतिक दलों के बीच भ्रम की स्थिति स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। इसके बावजूद, भारत इस मामले में निराश नहीं है।

भारत के कूटनीतिक रणनीतिकारों का मानना है कि फिलहाल प्रतीक्षा की नीति सबसे उपयुक्त है, लेकिन वे इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि भविष्य में बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति में भारत के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी। इसके साथ ही, भारत लगातार बांग्लादेश की स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

बांग्लादेश की केंद्रीय सरकार का सारा काम अस्थायी तौर पर चल रहा है

सूत्रों का कहना है कि पिछले दो महीनों में बांग्लादेश की आंतरिक स्थिति में कोई विशेष बदलाव नहीं आया है। राजनीतिक अस्पष्टता वैसी ही बनी हुई है जैसी पहले थी। प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने न तो चुनाव कराने के लिए कोई रोडमैप प्रस्तुत किया है और न ही प्रशासन के बारे में कोई ठोस योजना दी है। पुलिस व्यवस्था, चुनाव प्रणाली आदि में बदलाव के लिए समितियों का गठन किया गया है। इसके अलावा, संविधान में संशोधन के लिए एक अलग समिति के गठन पर भी विचार किया जा रहा है। बांग्लादेश की केंद्रीय सरकार का सारा काम अस्थायी रूप से हो रहा है।

कैबिनेट से दो मंत्रियों को हटाने की मांग

आर्थिक नीति, विदेश नीति या सुरक्षा व्यवस्था के बारे में सरकार की नीति अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। इस मुद्दे पर पूर्व विपक्षी नेता बेगम खालिदा जिया की राजनीतिक पार्टी बीएनपी के भीतर भी असंतोष है। इस सप्ताह, बीएनपी के सदस्यों ने प्रो. यूनुस से मुलाकात कर आगामी चुनावों पर उनकी स्थिति स्पष्ट करने और उनकी कैबिनेट से दो मंत्रियों को हटाने की मांग की है।

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उन्होंने कुछ न्यायाधीशों को हटाने और नौकरशाही में शामिल लोगों को निलंबित करने की भी मांग की। इन मांगों से यह स्पष्ट होता है कि बीएनपी के प्रो. यूनुस के साथ संबंध बहुत सौहार्दपूर्ण नहीं हैं। दूसरी ओर, जमात-ए-इस्लामी का भी अंतरिम सरकार पर दबाव है, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री हसीना को सत्ता से हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

जल्द चुनाव कराने की मांग

बताया जा रहा है कि जमात के लोग अंतरिम सरकार के स्थान पर जल्द से जल्द एक निर्वाचित सरकार के गठन के पक्ष में हैं। हाल ही में अंतरिम सरकार के साथ हुई बैठक में, बीएनपी और जमात दोनों ने जल्द चुनाव कराने की मांग की है। जबकि अंतरिम सरकार का तर्क है कि जब तक सुधारों का एजेंडा हर स्तर पर लागू नहीं हो जाता, चुनाव प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है।

वैसे, यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि अंतरिम सरकार ने चर्चा के लिए पूर्व प्रधानमंत्री हसीना की पार्टी अवामी लीग और उनकी सरकार में शामिल अन्य राजनीतिक दलों को नहीं बुलाया है। कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से स्थिति विकसित हो रही है, ऐसा प्रतीत होता है कि पड़ोसी देश में राजनीतिक अस्थिरता लंबे समय तक बनी रह सकती है।

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बीमार लोगों को समय पर वीजा देने में भी दिक्कत हो रही है

दूसरी ओर, भारतीय उच्चायोग की गतिविधियाँ बहुत सीमित हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से, भारत ने अपने कई राजनयिकों को वहां से वापस बुला लिया है, जिसके कारण वीजा देने की प्रक्रिया भी बहुत सीमित हो गई है। मांग के अनुसार, बीमार लोगों को समय पर वीजा देने में भी समस्या हो रही है। जब तक अंतरिम सरकार सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत नहीं करती, भारत के लिए सामान्य वीजा सेवाएं प्रदान करना मुश्किल होगा।

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